शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

रहिमन विपदा हू भली

रहिमन विपदा हू भली, जो थोरे दिन होय |
जान परत है जगत में हितु अनहितु सब कोय ||

आज सम्पूर्ण विश्व कोविड१९ की आपदा से जूझ रहा है, थोड़े दिनों में यह संकट समाप्त हो ही जाएगा | इस संकट से विश्व सहित भारत में जहां अत्यधिक आर्थिक हानि हुई है, वहीं भारत में बहुत सी ऐसी बातें पट लगी हैं, जो इसके पूर्व नहीं ज्ञात थीं |
·        भारतीय पुलिस का वह मानवीय रूप सबके सामने आया है, जिससे अभी तक हम अनजान थे | पुलिस से सज्जन लोग भयभीत रहते थे और अपराधी भयमुक्त, परन्तु इस आपदा ने पुलिस को जन जन का हितैषी एवं सम्माननीय बना दिया है
·        डाक्टरों के प्रति पूरे विश्व में बहुत समय बाद अति सम्मान का भाव जागृत हुआ है, फिर से उन्हें भगवान् के रूप में देखा जाने लगा है |
·        भारत के प्रधानमंत्री की नेतृत्व एवं कार्य पद्धति के प्रति जन जन में सम्मान एवं विश्वास बढ़ा है |
·        एक समुदाय विशेष का विद्रूप एवं आतंकी स्वरुप सबके सामने आया है, जो इस आपदा को और अधिक बढ़ाकर पूरे राष्ट्र को घोर संकट में डालने को उद्यत ही नहीं था, अपितु अपने ही हितैसेयों और रक्षकों पर थूकना, असभ्यता करना, हिंसक आक्रमण कर उनको ही मारने का प्रयास करना |
इसके अतिरिक्त इस आपदा से जहां बड़ी आर्थिक हानि हुई है, वहीं कई अपरोक्ष लाभ भी हुए हैं |
1.      जहां इस आपदा से अबतक पूरे राष्ट्र में ८०० के लगभग मृत्यु हुई है (अधिकाँश तो उनकी मृत्यु हुई है, जिन्होंने सरकारी निर्देशों का पालन नहीं करके स्वयं मृत्यु को आमंत्रित किया है), २४/३/२०२० से घोषित लाकडाउन से अभी तक दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु नगण्य हो गई हैं (जो प्रतिदिन कई सौ होती थीं) इस प्रकार हजारों जीवन सुरक्षित रहे हैं |
2.      अपराधों में गुणात्मक कमी आई है(हत्या, बलात्कार, लूट आदि) |
3.      प्रकृति प्रसन्न हुई है, प्राणवायु की मात्रा बढी है, जिसका लाभ प्राणीमात्र को हुआ है |
4.      नदियाँ, जिनको साफ़ करने के लिए व्यर्थ ही खरबों रु व्यय किये जा रहे थे, और परिणाम नगण्य था | आज समस्त नदियाँ स्वतः निर्मल होने लगी हैं |
5.      बेजुवां प्राणियों के प्रति लोगों के ह्रदय में प्रेम उमड़ने लगा है |
6.      घर पर एक साथ रहने के कारण, आपसी सौहार्द बढ़ा है, स्त्रियों को घर में कितना कार्य करना पड़ता है, उसकी महत्ता लोगों को समझ आने लगी है |
7.      घर में सुरक्षित लोगों में नए नए उपयोगी कार्य करने की, तथा इस आपदा से निपटने के लिए आविष्कार करने की पृवृत्ति बढी है |
8.      भारतीय जीवन मूल्यों, परम्पराओं और संस्कारों की वैज्ञानिकता समाझ में आने लगी है, यथा नमस्ते करना, दाह संस्कार करना, दाह संस्कार से घर आने पर बगैर किसी वास्तु को हाथ लगाए पहने हुए कपड़ों को धोकर स्नान करना, बाहर से घर में आने पर हाथ पैर धोकर घर में आना, किसी बाहरी व्यक्ति से शारीरिक दूरी बनाए रखना, पूरे भोजन को जूठा नहीं करना, जूठे हाथ न लगें, एक कार्य सम्माप्त करने के उपरान्त ठीक प्रकार से हाथ धोना, पशु पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करना, गाय, कुत्ते, पक्षियों आदि के लिए प्रतिदिन उनका अंश निकालना आदि |
      यदि किसी आपदा से इतने परोक्ष एवं अपरोक्ष लाभ मिले हों तो थोड़े दिनों की विपदा ठीक ही है |  

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2020

इतिहास दोहराता है

इतिहास दोहराता है
     आज भारत में कांग्रेस सहित अधिकाँश राजनीतिक दल व्यक्ति या परिवार द्वारा संचालित हैं, और वे सभी स्वयं को निरंतर सत्ता में बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के निर्लज्ज एवं अनैतिक हथकंडे अपनाने में भी कोई संकोच नहीं करते हैं | सत्ता में रहते हुए असीमित लूट के द्वारा अकूत संपदा एकत्रित कर रहे हैं, इसके लिए सभी राजनीतिक दल विभिन्न प्रकार से मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा देते रहे हैं; यथा
·        कान्ग्रेस ने शाहबानो मामले में मुस्लिम कट्टरपंथियों को संतुष्ट करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को क़ानून बना कर बदल दिया, और कांग्रेस प्रधानमन्त्री ने कहा, कि भारत के संसाधनों पर प्रथम अधिकार मुसलमानों का है, इतना ही नहीं समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट के दोषी मुसलमान आतंकियों को अपराध मुक्त कर, निरपराध हिन्दुओं को पकड़ा गया, आदि |
·        आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में केवल मौलानाओं को प्रतिमाह १८००० रु और उनके सहायक को १२००० रु. प्रतिमाह सरकारी खजाने से वेतन के रूप में दिया |
·        उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी द्वारा केवल मुसलमान लड़कियों को दसवीं पास करने के लिए आगे की पढ़ाई के लिए १५००० रु प्रतिमाह दिया गया, उनके कब्रिस्तानों को सरकारी व्यय पर दीवार बनवाकर सुरक्षित किया आदि |
·        तृणमूल एवं कांग्रेस द्वारा करोंड़ों मुस्लिम (बांग्लादेशी) घुसपैठियों को भारत में बसाने और उनके मतदाता पहहान पत्र आदि बनवाने का कार्य किया गया |
ये सत्तालोलुप दल मुस्लिम तुष्टिकरण द्वारा, सत्ता में बने रहकर, समझ रहे हैं, कि वे मुसलमानों का इस्तमाल कर रहे हैं, लेकिन मुस्लिम समुदाय भ्रमित नहीं है, उनका उद्येश्य स्पष्ट है, गजवाए हिन्द, अर्थात पूरे भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाना |
हिन्दू समाज गहरी नींद में सो रहा है, यह आज हो रहा है, अनादी काल से ऐसा ही होता आया है, वैदिक, बौद्ध, जैन आदि धर्मों एवं अनेक सिद्ध मनीषियों द्वारा आदि अति उच्च मानवीय मापदंड स्थापित करने के कारण, हिन्दू ने कभी किसी भय, खतरे या षड्यंत्र का पूर्वानुमान करने का प्रयाष नहीं किया, उन्हें तो पूरा विश्व अपनी ही तरह सरल एवं अपना कुटुंब लगता है | स्मरण करें ईसा से ३३५  वर्ष पूर्व ग्रीक के मकदूनिया से एक आक्रान्ता भारत भूमि पर आक्रमण करने बढ़ा, जिसका नाम सिकंदर था | आज के राजनैतिक दलों की तरह भारत बहुत छोटे छोटे राज्यों में बंटा हुआ था, प्रत्येक राजा अपने परिवार के शाषन को अक्षुण बनाए रखने और जनता को लूटने और अकूत संपदा एकत्रित करने में व्यस्त था, उन्हें उस खतरे का कोई अनुमान नहीं था | उस समय दूर तक्षशिला विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्र के प्राद्ध्यापक विष्णु गुप्त(कौटिल्य) इस खतरे को गंभीरता से भांप रहे थे, उन्होंने अकेले ही सभी राजाओं से संगठित होकर इस खतरे के विरुद्ध खड़े होने का आग्रह किया, लेकिन सत्तामद में मदांध इन राजाओं ने विष्णु गुप्त का अपमान किया, उपहास किया, विशाल मगध राज्य से तो उन्हें धक्के मारकर भगा दिया गया, इतना ही नहीं तक्षशिला में उनके साथियों ने भी उनका उपहास किया और कहा, तुम काल्पनिक खतरे से भयभीत हो | कौटिल्य ने अपनी शिखा खोल ली और विशाल नंदवंश के विनाश का और ग्रीक के खतरे से अकेले ही संघर्ष करने का प्रण लेकर, निकल पड़े युवा शक्ति को संगठित करने, कौटिल्य के प्रयासों से एक एक युवा जुड़ता गया और एक विशाल संगठित जुझारू जनसमुदाय खड़ा हो गया, उनके ही एक शिष्य चन्द्र्गुप्त मौर्य ने अहंकारी नंदवंश का पतन किया और अब मगध साम्राज्य सिकंदर के आक्रमण का प्रतिशोध करने के लिए तत्पर था | ईसा पूर्व ३२६ में सिकंदर ने तक्षशिला पर आक्रमण किया, वहां के राजा आम्भी ने न केवल उसका स्वागत किया, अपितु उसकी आर्थिक एवं सैन्य सहायता भी की, बदले में सिकंदर की सेना ने तक्षशिला को लूटा, खेत जलाए | कौटिल्य के प्रयासों से ही, सिकंदर आगे नहीं बढ़ सका, और जिस मार्ग से आया था उससे वापस भी नहीं जाने पाया, जल मार्ग से वापस पलायन करते हुए भी उसे सीमावर्ती गणराज्यों से घोर संघर्ष करना पड़ा और इसी में उसे एक विषबुझा तीर लगा, जिसके कारण उसे पीतज्वर हुआ और वह जीवित वापस ग्रीक नहीं जा सका, ईसा पूर्व ३२३ में उसका निधन हो गया |

     १९१९ में प्रथम विश्व युद्ध के समय इंग्लॅण्ड द्वारा तुर्की के खलीफा महदद षष्ठ पर आक्रमण करके उसे हटा देने के विरोध में, केवल भारत के मुसलमानों ने (अली बंधुओं) खलाफत आन्दोलन खड़ा किया, जिसका समर्थन मौलाना अबुल कलाम आजाद, मोहम्मद अली जिन्ना आदि मुसलमानों ने किया, तथा केवल मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए इसका नेतृत्व गांधीजी ने किया; खलीफा को तुर्की में हटाए जाने से भारत के लोगों का कोई लेना देना नहीं था; परन्तु यहाँ का सुन्नी मुस्लिम समुदाय भारत सहित पूरे विश्व को इस्लामी बनाकर सुन्नी बादशाह खलीफा के आधीन लाने का स्वप्न देख रहा था, ये अंग्रेजों का कुछ बिगाड़ नहीं सकते थे, अतएव अपने क्रोध को १९२१ में केरल के मालाबार में हिन्दुओं का संघार, बलात्कार, आगजनी करके निकाला | इस पूरे घटनाक्रम से कुछ भी सीखे बगैर हिन्दू समाज सो रहा था और हिन्दू नेतृत्व(कांग्रेस) केवल अपना अस्तित्व बनाए रखने में व्यस्त था | उस समय कांग्रेस में ही एक सजग कौटिल्य (डा. हेडगेवार) परिस्थितियों पर पैनी नजर रखे हुए था, उसने कांग्रेस का विरोध किया और कांग्रेस से त्यागपत्र दे कर, भविष्य के लिए राष्ट्रभक्त युवाशक्ति को संगठित करने का  उद्यम प्रारम्भ कर दिया, इसके लिए १९२५ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की, विभिन्न अनुसांगिक संगठनों द्वारा राष्ट्रभक्त युवा शक्ति जुडती गई और आज यह संख्या करोड़ों में हो गई, उसी का राजनीतिक अनुसांगिक संगठन भारतीय जनसंघ बनी, जो आज भारतीय जनतापार्टी के रूप में सामने है | १९४७ में मुस्लिम तुष्टिकरण और नेहरू की सत्तालोलुपता को संतुष्ट करने के लिए भारत का विभाजन कांग्रेस द्वारा करवा दिया गया | ३०/४० लाख से अधिक लोग मारे गए, लाखों ललनाओं के साथ मुस्लिम गुंडों द्वारा व्यभिचार किया गया, इतना ही नहीं, इन मदांध कांग्रेसियों ने, राजा आम्भी की तरह उनका सहयोग करते हुए, उन्हें यहाँ रहने की न केवल अनुमति प्रदान की, अपितु उन्हें सदैव विशेष अधिकार भी दिए गए | कौटिल्य की तरह हेडगेवार के अनुयायी प्रयासरत रहे, और अन्ततोगत्वा १९१४ में भारत पर कांग्रेस का शासन समाप्त कर भारतीय जनता पार्टी का शाषन स्थापित हुआ | कौटिल्य के समय राजतंत्र था, केवल मगध पर शासन स्थापित करने से भारत संगठित और बलशाली हुआ था; परन्तु आज स्थिति अधिक कठिन है, आज लोकतंत्र है, जन जन को जागृत करना होगा, अन्यथा यहाँ का तथाकथित बहुसंख्यक थोड़ी सी लालच में सत्तालोलुपों को सत्ता सौंपता रहेगा, और एक दिन यह राष्ट्र मुस्लिम राष्ट्र हो जाएगा, उस दिन उनके साथ वही वीभत्स व्यवहार होगा जो पाकिस्तान में हिन्दुओं, सिखों के साथ हो रहा है, जो १९ जनवरी १९९० को कश्मीर में पंडितों के साथ हुआ |