रहिमन विपदा हू
भली, जो थोरे दिन होय |
जान परत है जगत
में हितु अनहितु सब कोय ||
आज सम्पूर्ण विश्व कोविड१९ की
आपदा से जूझ रहा है, थोड़े दिनों में यह संकट समाप्त हो ही जाएगा | इस संकट से
विश्व सहित भारत में जहां अत्यधिक आर्थिक हानि हुई है, वहीं भारत में बहुत सी ऐसी
बातें पट लगी हैं, जो इसके पूर्व नहीं ज्ञात थीं |
·
भारतीय पुलिस का वह मानवीय रूप सबके सामने आया है, जिससे अभी तक हम अनजान थे |
पुलिस से सज्जन लोग भयभीत रहते थे और अपराधी भयमुक्त, परन्तु इस आपदा ने पुलिस को
जन जन का हितैषी एवं सम्माननीय बना दिया है
·
डाक्टरों के प्रति पूरे विश्व में बहुत समय बाद अति सम्मान का भाव जागृत हुआ
है, फिर से उन्हें भगवान् के रूप में देखा जाने लगा है |
·
भारत के प्रधानमंत्री की नेतृत्व एवं कार्य पद्धति के प्रति जन जन में सम्मान
एवं विश्वास बढ़ा है |
·
एक समुदाय विशेष का विद्रूप एवं आतंकी स्वरुप सबके सामने आया है, जो इस आपदा
को और अधिक बढ़ाकर पूरे राष्ट्र को घोर संकट में डालने को उद्यत ही नहीं था, अपितु
अपने ही हितैसेयों और रक्षकों पर थूकना, असभ्यता करना, हिंसक आक्रमण कर उनको ही
मारने का प्रयास करना |
इसके अतिरिक्त इस आपदा से जहां
बड़ी आर्थिक हानि हुई है, वहीं कई अपरोक्ष लाभ भी हुए हैं |
1.
जहां इस आपदा से अबतक पूरे राष्ट्र में ८०० के लगभग मृत्यु हुई है (अधिकाँश तो
उनकी मृत्यु हुई है, जिन्होंने सरकारी निर्देशों का पालन नहीं करके स्वयं मृत्यु
को आमंत्रित किया है), २४/३/२०२० से घोषित लाकडाउन से अभी तक दुर्घटनाओं में होने
वाली मृत्यु नगण्य हो गई हैं (जो प्रतिदिन कई सौ होती थीं) इस प्रकार हजारों जीवन
सुरक्षित रहे हैं |
2.
अपराधों में गुणात्मक कमी आई है(हत्या, बलात्कार, लूट आदि) |
3.
प्रकृति प्रसन्न हुई है, प्राणवायु की मात्रा बढी है, जिसका लाभ प्राणीमात्र
को हुआ है |
4.
नदियाँ, जिनको साफ़ करने के लिए व्यर्थ ही खरबों रु व्यय किये जा रहे थे, और
परिणाम नगण्य था | आज समस्त नदियाँ स्वतः निर्मल होने लगी हैं |
5.
बेजुवां प्राणियों के प्रति लोगों के ह्रदय में प्रेम उमड़ने लगा है |
6.
घर पर एक साथ रहने के कारण, आपसी सौहार्द बढ़ा है, स्त्रियों को घर में कितना
कार्य करना पड़ता है, उसकी महत्ता लोगों को समझ आने लगी है |
7.
घर में सुरक्षित लोगों में नए नए उपयोगी कार्य करने की, तथा इस आपदा से निपटने
के लिए आविष्कार करने की पृवृत्ति बढी है |
8.
भारतीय जीवन मूल्यों, परम्पराओं और संस्कारों की वैज्ञानिकता समाझ में आने लगी
है, यथा नमस्ते करना, दाह संस्कार करना, दाह संस्कार से घर आने पर बगैर किसी वास्तु
को हाथ लगाए पहने हुए कपड़ों को धोकर स्नान करना, बाहर से घर में आने पर हाथ पैर
धोकर घर में आना, किसी बाहरी व्यक्ति से शारीरिक दूरी बनाए रखना, पूरे भोजन को जूठा
नहीं करना, जूठे हाथ न लगें, एक कार्य सम्माप्त करने के उपरान्त ठीक प्रकार से हाथ
धोना, पशु पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करना, गाय, कुत्ते, पक्षियों आदि के
लिए प्रतिदिन उनका अंश निकालना आदि |
यदि किसी आपदा से इतने परोक्ष एवं अपरोक्ष लाभ मिले हों तो थोड़े दिनों की
विपदा ठीक ही है |
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