समाचार पत्रों में यह पढ़ कर कि कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी अपनी स्थापना के ८०० वर्ष पूर्ण कर चुकी है, अपार आसमाचारनंद हुआ। इसकी स्थापना १२०९ ई में हुई थी, तब से अब तक लाखों लोगों को ज्ञान प्रदान कर के सम्पूर्ण विश्व को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करती रही है और तब तक 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' का उद्घोष करती रहेगी जब तक कोई भीषण प्राकृतिक आपदा या कोई नरपिशाच अथवा जंगली असभ्य समुदाय इसे नष्ट ना कर दे. हमने पढ़ा था कि कभी भारत भी उच्च शिक्छा का केन्द्र रहा है, तो उसके वे शिक्छा केन्द्र कहाँ गए जबकि कैम्ब्रिज ८०० वर्ष पश्चात भी विश्व को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित कर रही है, तो भारतीय शिक्छन संस्थान क्यों नही कर सके। भारत के कुछ शिक्छन संस्थान विश्व विख्यात रहे हैं।
१ तक्छ्शिला विश्वविद्यालय : यह विश्वविद्यालय की वर्तमान परिभासा में तो नही आता था परन्तु एक गुरुकुल जैसा शिक्छा का प्रमुख केन्द्र था जो वर्तमान रावलपिन्डी के समीप था इसकी इस्थापना ईसा से ६०० वर्ष पूर्व अर्थात अब से २६०० वर्ष पूर्व हुई थी। संस्कृत व्याकरण के जनक पाडिनी, अर्थशास्त्र के रचयिता और चन्द्र गुप्त मौर्य के गुरू कोटिल्य, भारतीय चिकित्सा विज्ञान के जनक चरक आदि इसी विद्यालय की देन थे। अशोक महान के समय यह विद्यालय अपने उत्कर्ष के चरम पर था। लगभग १००० वर्ष तक विश्व को ज्ञान के भण्डार से आलोकित कराने के उपरांत किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा में नष्ट हो गया।
२ नालंदा विश्व विद्यालय: यह एक पूर्ण विश्वविद्यालय था जिसमें विभिन्न राष्ट्रों के १०००० से अधिक विद्यार्थी विद्या अध्यन करते थे और १५०० से अधिक विद्वान अध्यापक उनका मार्ग दर्शन करते थे। यहाँ सभी विषयों की शिक्छा प्रदान की जाती थी, यहाँ नौ मंजिला एक पुस्तकालय भी था जिसमें हजारों हस्तलिखित पान्दुलिपिया थी, जिनमे ज्ञान का अक्छय भण्डार था। इस विद्यालय की स्थापना बिहार में पटना के समीप गुप्त सम्राट कुमार गुप्त ने ५वी शताब्दी में की थी, चीनी यात्री ह्युएंसाअंग ने यहाँ तीन वर्ष तक शिक्षा प्राप्त की थी परन्तु ११९३ई में एक असभ्य, जंगली मुग़ल सेनापति बख्तियार खिलजी ने न केवल इसे ध्वस्त कर दिया अपितु ज्ञान के अच्छत भण्डार पुस्तकालय को भी जला दिया जिसमें हस्तलिखित पुस्तकें ६ माह तक जलती रही और हजारों विद्यार्थी तथा अद्यापकों को मौत के घाट उतार दिया, इस प्रकार एक महान शिक्छा केन्द्र का ७०० वर्ष में ही अवशान हो गया।
३ विक्रम शिला : इसकी स्थापना पाल सम्राट धर्मपाल ने मगध के समीप ७८० से ८१५ ई के मध्य की थी। यहाँ विद्यार्थियों के निवाश एवं भोजन की व्यवस्था भी निशुल्क थी, इस विद्यालय को भी बख्तियार खिलजी ने १२वी शताब्दी में नष्ट कर दिया था। इस असभ्य एवं जंगली संमुदाय के वंशज आज भी विश्व के लिए, उसकी सभ्यता और ज्ञान के लिए ख़तरा बने हुए हैं। ये वही लोग हैं जिन्होंने ईरान में शरीयत के नाम पर विद्वानों का कत्ल करवाया, अमेरिका में ट्रेड टावर पर आक्रमण किया और भारत में भी गोधरा तथा मुंबई जैसे जघन्य कार्य किए। क्या इनकी कुद्रष्टि से कैम्ब्रिज बच्चा रहा सकेगा।
in this by mistake I wrote Chandra Gupt Vikrmaadity in place of Chandra Gupt maury. sorry for mistake
जवाब देंहटाएंsurendra